दशमी तिथि हिन्दू पंचांग में दसवें दिन को कहते हैं, जब अंधकार पर प्रकाश की जीत का जश्न मनाते हैं। यह तिथि अक्सर दशमी विषु या दशमी के नाम से भी जानी जाती है। अगर आप इस विशेष दिन को सही समय पर मनाना चाहते हैं, तो यहाँ सभी जरूरी जानकारी सरल शब्दों में दी गई है।
हर महीने की शुक्ल (दुग्ध) और कृष्ण (अंधकार) पक्ष में दशमी आती है। शुक्ल दशमी को विषु दशमी कहा जाता है, जबकि कृष्ण दशमी को काली दशमी या दुर्मिया कहा जाता है। 2025 में प्रमुख दशमी तिथियाँ हैं:
ये तिथियाँ सूर्य और चंद्रमा की चाल पर आधारित होती हैं, इसलिए प्रत्येक वर्ष थोड़ी बदलती हैं। अपने लोकल पंचांग या भरोसेमंद ऐप से सटीक समय देखें।
1. **पूजा‑अर्चना** – विषु दशमी पर विषु को जल अर्पित करके स्नान करें, और प्रतिदिन 7‑9 बार मंत्र जपें। कृष्ण दशमी पर काली माताओं की पूजा करके नकारात्मक ऊर्जा को दूर करें।
2. **संतुशन** – घर में सामान साफ‑सफाई करके रखें। नई वस्तुएँ खरीदने का शुभ समय माना जाता है, खासकर कपड़े या इलेक्ट्रॉनिक चीजें।
3. **दान‑भोजन** – जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े या दवाइयाँ देना अत्यंत पुण्यदायक है। यह दान दशमी की ऊर्जा को और बढ़ा देता है।
4. **गुड़िया‑बच्चों की खेल‑प्रेरणा** – कई घरों में दशमी के दिन बच्चों को झूला या पतंग उड़ाने का मज़ा दिया जाता है। इससे आत्म‑विश्वास और खुशी बढ़ती है।
5. **शुभ मुहूर्त** – शुभ समय (अभिलेश) में आरम्भ करें। आमतौर पर सुबह 6‑8 बजे या दोपहर 12‑2 बजे का समय शुभ माना जाता है। अपनी निजी कुंडली के अनुसार इससे बेहतर समय चुनें।
इन आसान कदमों से आप दशमी तिथि को पूर्ण रूप से लाभकारी बना सकते हैं। याद रखें, सही इरादा और सकारात्मक सोच सबसे बड़ी वस्तु है। अगर आप पहली बार इसे मनाने वाले हैं, तो छोटे‑छोटे कार्य से शुरुआत करें, जैसे कि सूर्य को नमस्कार और दीन दान।
दशमी तिथि का असली अर्थ अंधकार पर प्रकाश का विजय है, इसलिए इस दिन अपने अंदर की नकारात्मक भावनाओं को छोड़कर उज्ज्वल सोच अपनाएँ। आशा है यह गाइड आपके लिए काम आएगा और आप इस वर्ष की दशमी को खुशियों और सफलता के साथ मनाएंगे।
2 अक्टूबर 2025 को भारत में विजयादशमी के प्रमुख तिथियों, मुहूर्त एवं पूजा विधि की विस्तृत जानकारी। सरकारी छुट्टी, स्थानीय रिवाज और विशेषज्ञ राय शामिल।