जब हम चक्रवाती तूफान, एक तेज़ी से घूमती हुई बड़ी बवंडर या घूर्णन‑वायु प्रणाली है, जो तेज हवाओं, भारी वर्षा और अचानक वॉटर‑स्प्रेड के साथ आती है. इसे अक्सर समुद्री तूफ़ान या साइक्लोन कहा जाता है, लेकिन भारत में ‘चक्रवाती तूफान’ शब्द वही मौसमीय घटना के लिए प्रयुक्त होता है। इस प्राकृतिक घटना को समझने के लिए हमें उसके मूल घटकों को देखना चाहिए।
पहला महत्वपूर्ण घटक वायुमंडलीय दबाव, हवा के भीतर मौजूद शक्ति जो समुद्र की सतह पर कम होती है है। जब समुद्र के पानी का तापमान 26 °C से ऊपर पहुंचता है, तो पानी के नीचे वाष्पीकरण तेज़ हो जाता है और हवा का दबाव गिरना शुरू होता है। यह दबाव गिरना चक्रवाती तूफान के गठन का सीधा कारण बनता है। दूसरा प्रमुख घटक वर्षा, बादलों से गिरने वाली जलवाष्प जो तूफ़ान के भीतर एकत्रित होती है है, जो निचली सतह पर भारी बाढ़ लाती है। तीसरा घटक आपदा प्रबंधन, सरकारी और सामुदायिक उपाय जो तूफ़ान के नुकसान को कम करने के लिए किए जाते हैं है, जिसमें पूर्व चेतावनी, निवासियों का स्थानांतरण और राहत कार्य शामिल हैं।
वायुमंडलीय दबाव कम होने से हवा में अड़चन पैदा होती है; यह अड़चन हवा को तेजी से घूमने के लिए मजबूर करती है, यानी घूर्णन‑वायुमंडलीय प्रवाह बनता है। यही प्रवाह चक्रवाती तूफान को घूर्णी शक्ति देता है। साथ ही, गरम समुद्री सतह से उठी जलवाष्प ठंडी हवा से मिलकर घना बादल बनाती है, जिससे तीव्र वर्षा होती है। जब बारिश समुद्र के साथ मिलती है, तो समुद्र के ऊपर एक विशेष प्रकार का ताप‑व्यवहार उत्पन्न होता है जो हवाओं को और तेज़ी से घुमाता है। यह चक्रवाती प्रक्रिया को और तीव्र बनाती है और नुकसान के दायरे को बढ़ा देती है।
इन तीनों घटकों का आपसी जुड़ाव यह बताता है कि क्यों हर साल भारत के तटीय राज्य विशेष सावधानी बरतते हैं: महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा और तमिलनाडु में अक्सर समुद्री साइक्लोन के संकेत मिलते हैं। इस कारण, मौसम विज्ञान विभाग लगातार बहु‑स्तरीय पूर्वानुमान करता है, जिससे लोगों को समय पर चेतावनी मिल सके। साथ ही, स्थानीय प्रशासन आपदा प्रबंधन योजनाओं को लागू करता है: एंट्री‑पॉइंट्स पर रेस्क्यू टीमें, प्राथमिक स्वास्थ्य संस्थानों में आपातकालीन दवाइयाँ, और अल्पकालिक आश्रय।
ऐसी योजनाओं के बिना, चक्रवाती तूफान का प्रभाव घातक हो सकता है। 1999 में बंगाल की साइक्लोन ने लाखों लोगों को प्रभावित किया था, जिससे बुनियादी ढाँचा ध्वस्त हो गया और आर्थिक नुकसान कई अरब रुपये तक पहुंच गया। इसी कारण, वैज्ञानिक अब पहल कर रहे हैं कि कैसे वायुमंडलीय दबाव के बदलाव को सटीक रूप से मापा जाए, ताकि टॉप‑ऑफ़‑शॉर्ट‑टर्म फोरकास्टिंग को बेहतर बनाया जा सके।
यदि आप अपने घर या व्यवसाय को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो नीचे कुछ व्यवहारिक टिप्स हैं: पहला, मौसम विभाग की आधिकारिक ऐप या वेबसाइट पर नियमित अपडेट देखें; दूसरा, घर के खिड़कियों को मजबूत शीशे या जाल से सुरक्षित करें; तीसरा, यदि निकासी आदेश जारी हो तो तुरंत वैध आश्रय की तलाश करें; चौथा, आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा वितरित प्राथमिक राहत किट (जैसे टॉर्च, बैटरी, पानी की बोतल) को हमेशा तैयार रखें। ये सरल कदम नुकसान को कम कर सकते हैं।
अब आप जानते हैं कि चक्रवाती तूफान केवल ‘भारी बारिश’ नहीं, बल्कि वायुमंडलीय दबाव, घूर्णी हवा, और आपदा प्रबंधन के जटिल उलझन का परिणाम है। नीचे दिए गए लेखों में हम इस विषय के विभिन्न पहलुओं को और गहराई से देखेंगे – जैसे कि जलवायु परिवर्तन का इस पर प्रभाव, इतिहास में सबसे बड़े चक्रवाती तूफान, और तकनीकी उपकरण जो पूर्वानुमान को तेज़ बनाते हैं। इन लेखों को पढ़कर आप न केवल ज्ञान बढ़ाएंगे, बल्कि वास्तविक जीवन में तैयारी के लिए भी ठोस कदम उठा पाएंगे।
द्वारा लिखित रविजय विद्यार्थी
चक्रवाती फेंगल ने उत्तरी तमिलनाडु व पुडुचेरी में 90 किमी/घंटा की तेज़ हवाएँ और भारी बारिश लादी, जिससे जलजमाव, स्कूल बंद और व्यापक राहत कार्य हुए।