टिक टोक विडियो ऐप भारत में युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय वीडियो ऐपों में से एक है लेकिन ये शायद काम लोगों को ही पता होगा की यह एक चीनी एप्लीकेशन है. टिक टोक अपने यूज़र्स को काई तरह के विडियो बनने और आपस में शेयर करने की सुविधा देता है. इसमें आप को एक अलग तरह के वॉइस ओवर, डबिंग और वीडियो मिक्सिंग का उपयोग करके तरह-तरह का वीडियो बना सकते हैं. टिक टोक, को पहले Musical.ly के रूप में जाना जाता था.
हालाँकि टिक टोक (Tik Tok) इस तरह की विशेषताओं वाला एकमात्र ऐप नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसे ख़ासी लोकप्रियता मिली ख़ास कर युवाओं के बीच. देश में इसके 54 मिलियन से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं. भारत में स्मार्ट फ़ोन उपभोक्ताओं की संख्या अत्यधिक है जिसके कारण दुनियाँ भर की मोबाइल फ़ोन और ऐप बनानी वाली कंपोनियाँ भारत को टार्गेट करतीं हैं. लेकिन, सभी कम्पनियाँ देश के प्रति उचित जिम्मेदारी को नहीं निभाती; टिक टोक ऐप के बारे में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै खंडपीठ का कहना है की यह ऐप अश्लीलता को प्रोत्साहित कर रहा है. हाई कोर्ट जैसी बड़ी और सम्मनिय संस्था से ऐसी टिप्पन्नी आना कोई साधारण बात नहीं है.
टिक टोक ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल करने वालों के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं होती है की उनका डेटा कहा रखा जाता है और कैसे इस्तेमाल किया जाता है, ऐसे में जब आप इस प्रकार के ऐप्स को अपने फ़ोन में कैमरा, फ़ोटो और अन्य कई तरह के पर्मिशन देते हैं तो कहीं ना कहीं ये आपके निजता के लिए ख़तरा भी हो सकता है.
अदालत ने तमिलनाडु राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह राज्य के अधिकारियों द्वारा टिक टोक पर रोक लगने के लिए उठाए जा रहे क़दमों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे.
मदुरै के एक वरिष्ठ वकील ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ में याचिका दायर कर टिकटोक (TikTok) आवेदन पर रोक लगाने की मांग की है. याचिका दायर करने वाले वकील मुथु कुमार ने अदालत से कहा कि इंडोनेशिया और बांग्लादेश की सरकारों ने पहले ही आवेदन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
भारत सरकार को अप्रिल 16 के पहले इस मामले में कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करना है. अगर भारत सरकार ने कोर्ट के आदेश को हुबहू लागू किया तो जल्द हीं टिकटोक (TikTok) ऐप को भारत में भी प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.