बहुचर्चित विडियो ऐप TikTok के लिए एक राहत की ख़बर है. सप्रीम कोर्ट ने टिक टॉक पर बैन की सिफ़ारिश करने वाली मद्रास उच्च न्यायालय को कल तक यानी 24 अप्रेल तक बैन पर फैसला देने को कहा है अन्यथा ऐप पर लगा बैन हटाया जा सकता है. उच्च न्यायालय ने 17 अप्रैल को टिक टॉक के स्वामित्व वाली चीनी कंपनी बाइटडांस द्वारा दायर याचिका पर प्रतिबंध पर रोक लगाने से मना कर दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय को टिक टॉक पर प्रतिबंध के मामले में अंतरिम राहत याचिका पर 24 अप्रैल तक फैसला देने को कहा, इसमें विफल होने पर मोबाइल एप पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से मना कर दिया. मद्रास उच्च न्यायालय ने इसी महीने एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए मोबाइल एप को अनुचित और अश्लील कंटेंट वाला बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने पिछले सप्ताह TikTok द्वारा बैन पर रोक लगने की याचिका की सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया था और मामले की सुनवाई 22 अप्रैल को मुकर्रर की गई थी.
दरअसल मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह वीडियो ऐप टिक टॉक की डाउनलोडिंग पर बैन लगाए. साथ ही कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया है कि टिक टॉक पर बने वीडियो का प्रसारण न करें. गांवों और छोटे शहरों में फेमस टिक टॉक के जरिए 15 सेकेंड्स तक के वीडियो बना कर शेयर किए जा सकते हैं. लोग इस प्लेटफॉर्म पर डांसिंग, सिंगिंग, फनी और हर तरह के वीडियो बनाते हैं.
टिक-टॉक (TikTok) ऐप ने प्लैटफॉर्म से 60 लाख से ज्यादा आपत्तिजनक विडियो हटाए हैं. कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘यह टिक-टॉक के अपने यूजर्स को सुरक्षित और सहज महसूस कराने के प्रयासों का हिस्सा है. साथ ही टिक-टॉक कम्युनिटी के भीतर सही सोर्स देकर उन्हें मजबूत करने का भी प्रयास है.’ इसके अलावा टिक-टॉक ऐप का उपयोग 13 वर्ष की आयु से ऊपर के बच्चे ही कर सकेंगे। कंपनी का कहना है कि यह अतिरिक्त सुरक्षा मानक है ताकि कम उम्र वाले यूजर्स इस ऐप का उपयोग न कर सकें.